मनुष्य जीवन पर प्रभाव

Jun 23, 2023
Pooja
मनुष्य जीवन पर प्रभाव

प्रथम भाव अथवा लग्न में फल को वहां स्थित राशि प्रभावित करती है। इसके प्रभाव से जातक अकेले रहना पसंद करता है।

यदि लग्न भाव में वृश्चिक राशि में हो तो जातक को इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।

यदि किसी जातक की कुंडली में केतु तृतीय, पंचम, षष्टम, नवम एवं द्वादश भाव में हो तो जातक को इसके बहुत हद तक अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

यदि केतु गुरु ग्रह के साथ युति बनाता है तो व्यक्ति की कुंडली में इसके प्रभाव से राजयोग का निर्माण होता है।

यदि जातक की कुंडली में केतु बली हो तो यह जातक के पैरों को मजबूत बनाता है। जातक को पैरों से संबंधित कोई रोग नहीं होता है। शुभ मंगल के साथ केतु की युति जातक को साहस प्रदान करती है।

केतु के पीड़ित होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के सामने अचानक कोई न कोई बाधा आ जाती है।

यदि व्यक्ति किसी कार्य के लिए जो निर्णय लेता है तो उसमें उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। केतु के कमजोर होने पर जातकों के पैरों में कमजोरी आती है।

राहु-केतु की स्थिति कुंडली में कालसर्प दोष निर्माण करती है, जो जातकों के लिए घातक होता है।